पाठ का अर्थ
बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन ‘अज्ञेय’ द्वारा रचित ‘हिरोशिमा’ शीर्षक कविता मानवीय विभीषिका का सजीवात्मक चित्रण करती है।
‘अज्ञेय’ आधुनिक हिन्दी साहित्य के एक प्रखर कवि, कथाकार, विचारक और पत्रकार हैं। उन्होंने हिन्दी कविता में प्रयोगवाद
का सूत्रपात किया है। सात कवियों का चयन कर उन्होंने ‘तार सप्तक’ प्रस्तुत की यह सिद्ध कर दिया कि प्रयोगधर्मिता के द्वारा
बासीपन से मुक्त कैसे हुआ जा सकता है।
प्रस्तुत कविता में कवि आज की वैश्विक राजनीति से उपजाते
संकर और आशंकाओं को प्रदर्शित किया है। आज दुनिया आण्विक आयुधों को जमा करने में
लगी है। विश्व में छायं काले त्रासदी के बादल ये संकेत कर रहे हैं कि कभी
वीभत्सकारी रूप ले सकते हैं। ‘हिरोशिमा’ इसी
शक्ति का शिकार हुआ है। आज भी वहाँ की त्रासदी कण-कण में प्रदीप्त दिख रही है।
अमेरिका द्वारा गिराया गया ‘बम’
साधारण शक्तिवाला नहीं था। वह आग के गोली की तरह आकाश से
उनर और पूरे हिरोशिमा को निःशेष कर गया। आज भी उस त्रासदी का दंश वहाँ के वासी झेल
रहे हैं। मानव द्वारा निर्मित वह सूरज मानव को ही जलाकर राख कर दिया।