साँवर दइया राजस्थानी भाषा के एक प्रमुख कहानीकार हैं। उनकी
कहानियों में राजस्थानी समाज गहरे अर्थबोध एवं विविध छटाओं के साथ उपस्थित हुआ है।
प्रस्तुत कहानी ‘समकालीन
भारतीय साहित्य’ (अप्रैल-जून
1983 ई०) से यहाँ साभार संकलित है। इस कहानी का राजस्थानी से
हिंदी में अनुवाद कहानीकार ने स्वयं किया है।