रेनर मारिया रिल्के का जन्म 4 दिसंबर 1875 ई० में प्राग,
ऑस्ट्रिया (अब जर्मनी) में हुआ था। इनके पिता का नाम जोसेफ
रिल्के और माता का नाम सोफिया था। इनकी शिक्षा-दीक्षा अनेक बाधाओं को पार करते हुए
हुई। इन्होंने प्राग और म्यूनिख विश्वविद्यालयों में शिक्षा पायी। कला और साहित्य
में आरंभ से ही इनकी गहरी अभिरुचि थी। संगीत, सिनेमा आदि अनेक
कलाओं में इनकी गहरी पैठ थी। कविता के अतिरिक्त इन्होंने गद्य भी पर्याप्त लिखा।
इनका एक उपन्यास ‘द नोटबुक ऑफ माल्टे लॉरिड्स ब्रिज’ और ‘टेल्स ऑफ आलमाइटी’
कहानी संग्रह प्रसिद्ध हैं। इनके प्रमुख कविता संकलन हैं – ‘लाइफ एण्ड सोंग्स’,
‘लॉरेस सेक्रिफाइस’, ‘एडवेन्ट’ आदि। इनका निधन 29 दिसंबर 1926 ई० में हुआ।
रिल्के का रचनात्मक अवदान बहुत बड़ा है। इन्होंने आधुनिक
यूरोप के साहित्य को अपने गहरे भावबोध तथा संवेदनात्मक भाषा और शिल्प से काफी
प्रभावित किया। इनकी काव्य शैली गीतात्मक है और भावबोध में रहस्योन्मुखता है।
प्रसिद्ध हिंदी कविधर्मवीर भारती द्वारा भाषांतरित इस महान
जन कवि की कविता यहाँ प्रस्तुत है। यह कविता विश्व कविता के भाषांतरित संकलन ‘देशांतर’
से ली गयी है। रिल्के का आधुनिक विश्व कविता पर प्रभाव
बताया जाता है। रिल्के मर्मी इसाई कवियों जैसी पवित्र आस्था के आस्तिक कवि थे, जिनकी कविता में रहस्यवाद के आधुनिक स्वर सुने जाते हैं। प्रस्तुत कविता इस
तथ्य की एक दुर्लभ साखी पेश करती है। बिना भक्त के भगवान भी एकाकी और निरुपाय हैं।
उनकी भगवत्ता भी भक्त की सत्ता पर ही निर्भर करती है। व्यक्ति और विराट सत्य
एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रेम के धरातल पर अत्यंत पावनतापूर्वक यह कविता इस सत्य
को अभिव्यक्त करती है।