यतींद्र मिश्र का जन्म सन् 1977 में अयोध्या,
उत्तरप्रदेश में हुआ। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से हिंदी भाषा और साहित्य में एम० ए० किया। वे साहित्य, संगीत,
सिनेमा, नृत्य और चित्रकला के
जिज्ञासु अध्येता हैं। वे रचनाकार के रूप में मूलतः एक कवि हैं। उनके अबतक तीन
काव्य-संग्रह : ‘यदा-कदा’,
‘अयोध्या तथा अन्य कविताएँ’, और ‘ड्योढ़ी पर आलाप’
प्रकाशित हो चुके हैं। कलाओं में उनकी गहरी अभिरुचि है।
इसका ही परिणाम है कि उन्होंने प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और
संगीत साधना पर एक पुस्तक ‘गिरिजा’ लिखी। भारतीय नृत्यकलाओं पर विमर्श की पुस्तक है ‘देवप्रिया’,
जिसमें भरतनाट्यम और ओडिसी की प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मान
सिंह से यतींद्र मिश्र का संवाद संकलित है। यतींद्र मिश्र ने स्पिक मैके के लिए ‘विरासत 2001’
के कार्यक्रम के लिए. रूपंकर कलाओं पर केंद्रित पत्रिका ‘थाती’
का संपादन किया है। संप्रति, वे अर्द्धवार्षिक पत्रिका ‘सहित’ का संपादन कर रहे हैं। वे साहित्य और कलाओं के संवर्धन एवं अनुशीलन के लिए एक
सांस्कृतिक न्यास ‘विमला देवी फाउंडेशन’
का संचालन 1999 ई० से कर रहे
हैं।
यतींद्र मिश्र ने रीतिकाल के अंतिम प्रतिनिधि कवि द्विजदेव
की ग्रंथावली का सह-संपादन भी किया है। उन्होंने हिंदी के प्रसिद्ध कवि
कुँवरनारायण पर केंद्रित दो पुस्तकों के अलावा हिंदी सिनेमा के जाने-माने गीतकार
गुलजार की कविताओं का संपादन ‘यार जुलाहे’ नाम से किया है। यतींद्र मिश्र को अबतक भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद् युवा पुरस्कार, राजीव गाँधी
राष्ट्रीय एकता पुरस्कार,
रजा पुरस्कार, हेमंत स्मृति
कविता पुरस्कार,
ऋतुराज सम्मान आदि कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। उन्हें
केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ली और सराय, नई दिल्ली की फेलोशिप भी मिली है।
‘नौबतखाने में इबादत’
प्रसिद्ध शहनाईवादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ पर रोचक
शैली में लिखा गया व्यक्तिचित्र है। इस पाठ में बिस्मिल्ला खाँ का जीवन – उनकी रुचियाँ,
अंतर्मन की बुनावट, संगीत की साधना
आदि गहरे जीवनानुराग और संवेदना के साथ प्रकट हुए हैं।