विनोद कुमार शुक्ल का
जन्म 1 जनवरी 1937 ई० में राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में हुआ। उन्होंने वृत्ति के रूप में प्राध्यापन
को अपनाया। वे इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट . प्रोफेसर थे। वे दो
वर्षों (1994-1996 ई०) तक निराला सृजनपीठ में अतिथि साहित्यकार भी रहे। उनका
पहला कविता संग्रह ‘लगभग
जयहिंद’
पहचान सीरीज के अंतर्गत 1971 में प्रकाशित हुआ। उनके अन्य कविता संग्रह हैं – ‘वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह’,
‘सबकुछ होना बचा रहेगा’ और ‘अतिरिक्त
नहीं। उनके तीन उपन्यास – ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’ और ‘दीवार में एक खिडकी रहती थी’ तथा दो कहानी संग्रह – ‘पेड़ पर कमरा’ और ‘महाविद्यालय’ भी प्रकाशित हो चुके हैं। उनके उपन्यासों का कई भारतीय
भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इतालवी भाषा में उनकी कविताओं एवं एक कहानी संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ का अनुवाद हुआ है। ‘नौकर की कमीज’ उपन्यास पर मणि कौल द्वारा फिल्म का भी निर्माण हुआ है।
विनोद कुमार शुक्ल को 1992 ई० में रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, 1997 ई० में दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान और 1990 ई० में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
बीसवीं शती के
सातवें-आठवें दशक में विनोद कुमार शुक्ल एक कवि के रूप में सामने आए थे। कुछ ही
समय बाद उसी दौर में उनकी दो-एक कहानियाँ भी सामने आई थीं। धारा और प्रवाह से
बिल्कुल अलग, देखने
में सरल किंतु बनावट में जटिल अपने न्यारेपन के कारण . उन्होंने सुधीजन का ध्यान
आकृष्ट किया था। यह खूबी भाषा या तकनीक पर निर्भर नहीं थी। इसकी जड़ें संवेदना और
अनुभूति में थीं और यह भीतर से पैदा हुई खासियत थी। तब से लेकर आज तक वह अद्वितीय
मौलिकता अधिक स्फुट, विपुल और बहुमुखी होकर उनकी कविता, उपन्यास और कहानियों में उजागर होती आयी है।।
प्रस्तुत कहानी कहानियों
के उनके संकलन ‘महाविद्यालय’ से ली गयी है। कहानी बचपन की स्मृति के भाषा-शिल्प में रची
गयी है और इसमें एक किशोर की वयःसंधिकालीन स्मृतियाँ, दृष्टिकोण और समस्याएँ हैं। कहानी एक छोटे शहर के निम्न
मध्यवर्गीय परिवार के भीतर के वातावरण, जीवन यथार्थ और संबंधों को आलोकित करती हुई लिंग-भेद की
समस्या को भी स्पर्श करती है। घटनाएँ, जीवन प्रसंग आदि के विवरण एक बच्चे की आँखों देखे हुए और
उसी के मितकथन से उपजी सादी भाषा में हैं। कहानी का समन्वित प्रभाव गहरा और
संवेदनात्मक है। कहानी अपनी प्रतीकात्मकता के कारण मन पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ती
है।